भारत में मंकीपॉक्स (Mpox) का पहला मामला

monkeypox
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भारत ने 9 सितंबर 2024 को मंकीपॉक्स (जिसे अब Mpox कहा जाता है) का पहला मामला दर्ज किया है। यह मामला देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है, खासकर जब यह वैश्विक स्तर पर वायरस के पुनरुत्थान के बीच आया है। आइए इस स्थिति, स्वास्थ्य अधिकारियों की प्रतिक्रिया और भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए इसके महत्व पर एक विस्तृत नज़र डालते हैं।

पुष्टि किए गए मामले का अवलोकन

पुष्टि किया गया मामला एक युवा पुरुष का है, जो हाल ही में एक ऐसे देश से लौटे हैं जहाँ मंकीपॉक्स का सक्रिय प्रसार हो रहा है। इस मामले की प्रारंभिक पहचान 8 सितंबर 2024 को हुई, जब रोगी में वायरस के लक्षणों का संदेह था। बाद में प्रयोगशाला परीक्षणों ने पश्चिम अफ्रीकी क्लेड 2 के मंकीपॉक्स वायरस की उपस्थिति की पुष्टि की, जो वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा घोषित वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से भिन्न है।

रोगी की स्थिति

रोगी वर्तमान में एक निर्धारित तृतीयक देखभाल सुविधा में अलगाव में है और उसकी स्थिति स्थिर है, जिसमें कोई गंभीर बीमारी या सह-रुग्णताएँ नहीं हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वर्तमान में जनता के लिए कोई तत्काल जोखिम नहीं है, यह बताते हुए कि यह मामला एकल और जुलाई 2022 से भारत में रिपोर्ट किए गए 30 मामलों के समान है।

सरकारी प्रतिक्रिया

पुष्टि किए गए मामले के प्रकाश में, भारतीय सरकार ने सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, अपूर्व चंद्र ने राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को सलाह जारी की है, जिसमें सावधानी बरतने के उपाय, लक्षण और मंकीपॉक्स से संबंधित संचरण के तरीकों का विवरण दिया गया है। इस सलाह में निगरानी, संपर्क ट्रेसिंग और जनता के बीच जागरूकता अभियान को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

लागू किए गए प्रमुख उपाय

  1. निगरानी और परीक्षण: राज्यों को निगरानी रणनीतियों को मजबूत करने के लिए निर्देशित किया गया है, जिसमें परीक्षण सुविधाओं की स्थापना और संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों के लिए नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल शामिल हैं।
  2. अलगाव सुविधाएँ: स्वास्थ्य अधिकारियों को अस्पतालों में संदिग्ध और पुष्टि किए गए मंकीपॉक्स मामलों के प्रबंधन के लिए अलगाव सुविधाओं की पहचान और तैयारी करने का कार्य सौंपा गया है।
  3. जन जागरूकता: सरकार जनता को मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें चकत्ते (सामान्य या जननांग) और बुखार शामिल हैं, और प्राथमिक संचरण के तरीकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, विशेष रूप से यौन संपर्क और अन्य प्रकार के व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क।
  4. संपर्क ट्रेसिंग: संपर्क ट्रेसिंग के प्रयास चल रहे हैं, जो उन व्यक्तियों की पहचान करने के लिए हैं जो वायरस के संपर्क में आ सकते हैं, और संपर्क में आने के बाद 21 दिनों के लिए लक्षणों की दैनिक निगरानी की जा रही है।

वैश्विक संदर्भ

WHO द्वारा मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय (PHEIC) घोषित करने से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्तर पर मामलों की संख्या बढ़ रही है, विशेष रूप से अफ्रीका में, जहाँ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और बुरुंडी जैसे देशों में महत्वपूर्ण प्रकोप रिपोर्ट किए गए हैं। 3 सितंबर 2024 तक, WHO ने जनवरी 2022 से 102,997 से अधिक प्रयोगशाला-प्रमाणित मामलों और लगभग 223 मौतों की सूचना दी है, जो इस स्थिति की गंभीरता को उजागर करता है।

जोखिम मूल्यांकन

हालांकि भारत में वर्तमान मामला एकल और यात्रा से संबंधित है, स्वास्थ्य अधिकारी सतर्क बने हुए हैं। सरकार ने जनता को आश्वस्त किया है कि मंकीपॉक्स के प्रबंधन के लिए मजबूत उपाय किए गए हैं। ध्यान इस बात पर है कि वायरस के प्रसार को रोका जाए, जबकि यह सुनिश्चित किया जाए कि स्वास्थ्य प्रणाली किसी भी भविष्य के मामलों का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष

भारत में पहले मंकीपॉक्स मामले की पुष्टि सार्वजनिक स्वास्थ्य में सतर्कता के महत्व को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे सरकार संसाधनों को सक्रिय करती है और निवारक उपाय लागू करती है, यह महत्वपूर्ण है कि जनता को सूचित रखा जाए और स्वास्थ्य सलाहों का पालन किया जाए। जबकि वर्तमान स्थिति तत्काल खतरे का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, निरंतर जागरूकता और तैयारी मंकीपॉक्स के प्रबंधन और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती का सामना करने में आवश्यक होगी।

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